जम्मू-कश्मीर की ताहिरा रहमान छुएंगी आसमान की ऊंचाइयां
रत्ना शुक्ला आनंद, आवाज़ ए ख़्वातीन
जहां चाह वहाँ राह
खिलौने वाले हवाई जहाज़ से खेलने वाली ताहिरा रहमान हमेशा अपने माता-पिता से कहा करती थीं कि वे बड़े होकर हवाई जहाज़ उड़ाएंगी, और उनका ये सपना सच हो गया। जी हां हम बात कर रहे हैं जम्मू कश्मीर के राजौरी ज़िले के खोदवानी गाँव की रहने वाली एक ऐसी बच्ची की जो पैदा तो गाँव की मुश्किल परिस्थितियों में हुईं, लेकिन साहस, लगन और आत्मविश्वास के दम पर आज भारतीय वायुसेना में फ्लाइंग ऑफिसर के तौर पर चुनी गई हैं। ताहिरा रहमान बचपन से खेलकूद और दम ख़म वाली गतिविधियों में हिस्सा लेती रही हैं। ताहिरा रहमान जम्मू-कश्मीर की पहली गुर्जर महिला हैं जिन्हें भारतीय वायु सेना के फ्लाइंग ऑफिसर के रूप में चुना गया ताहिरा को भारतीय वायु सेना की AE (L) शाखा में शॉर्ट सर्विस कमीशन के लिए चुना गया है और अब उनका प्रशिक्षण चल रहा है।
माता-पिता के परिश्रम के फलस्वरूप हुई प्रारंभिक शिक्षा
ताहिरा की मां राकिया बेगम के मुताबिक़ बेटी की मेहनत और लोगों के समर्थन से आज ताहिरा को इतना बड़ा मौक़ा मिला। दरअसल ताहिरा जम्मू-कश्मीर के राजौरी ज़िले के जिस गाँव से आती हैं वहाँ सुविधाओं का नितांत अभाव है। इसीलिये ताहिरा ने बचपन की पढ़ाई बड़ी कठिनाई से की। स्कूल आने जाने में ही उन्हें चार घंटे लगते थे ऐसे में घर के सदस्यों को उन्हें स्कूल लेकर जाना पड़ता था। चूंकि पिता अब्दुल रहमान आर्मी में थे ऐसे में माँ को ही भागदौड़ करनी पड़ती थी। बाद में उनका दाखिला जम्मू के आर्मी पब्लिक स्कूल में हुआ। स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद ताहिरा ने प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण की और उनका दाखिला जबलपुर के IIIT में हुआ, जहां से बी टेक करने के बाद उन्होंने शॉर्ट सर्विस कमीशन की तैयारी की और उनका चुनाव भारतीय वायुसेना में हो गया।
पिता से मिली देश सेवा की प्रेरणा
ताहिरा के पिता भारतीय सेना से मानद कैप्टन के पद से रिटायर हैं, यही वजह है कि उनके भीतर हमेशा से देश सेवा का जज़्बा रहा। पिता के सेना में होने के कारण उन्होंने बच्चों को खेलकूद जैसी गतिविधियों के लिए प्रेरित किया जो उनके शॉर्ट सर्विस कमीशन की चयन प्रक्रिया में काम आया।
पिता है प्रगतिशील विचारधारा के
ताहिरा के पिता के मुताबिक़ मुस्लिम समुदाय में बच्चियों की शिक्षा को लेकर जागरूकता का अभाव है। उन्होंने महिलाओ की शिक्षा के महत्व को समझा है। यही वजह है कि बेटी ने जो पढ़ना चाहा उन्होंने मना नहीं किया और किसी परिस्थिति को आड़े नहीं आने दिया। अब्दुल रहमान चाहते हैं कि राजौरी की अन्य लड़कियां भी ताहिरा से प्रेरणा लेकर आगे आएँ।
इलाके के लोगों ने किया बेटी की पढ़ाई का समर्थन
ताहिरा की माँ का कहना कि "मैं यहां के लोगों की शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने हमें लगातार समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि यह उनकी बेटी की मेहनत और लोगों के समर्थन का नतीजा है जो आज ताहिरा को इतना बड़ा अवसर मिला।
ताहिरा के पिता चाहते हैं इलाके में बेहतर स्कूल
कहते हैं समाज से जब हमें कुछ मिलता है तो फिर उसे लौटाने की बारी आती है। अब्दुल रहमान की बेटी ताहिरा ने तो अपने सपनों की मंजिल पा ली परंतु अब वो चाहते हैं कि गाँव की अन्य बेटियाँ भी उच्च शिक्षा प्राप्त करें जिसके लिए उन्हें दूर दराज के इलाकों में न जाना पड़े। उनकी मांग है कि सरकार और गैर सरकारी संस्थाएं इस समस्या का निदान करें। अब्दुल रहमान का कहना है कि बेटियाँ आगे बढ़ेंगी तभी देश उन्नति करेगा।
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