सावधान कहीं आपका दिल कमज़ोर तो नहीं, विश्व हृदय दिवस विशेष


रत्ना शुक्ला आनंद, आवाज़ ए ख़्वातीन

महिलाओं में तनाव कर रहा है दिल को कमजोर  

आम धारणा है कि हार्ट अटैक पुरुषों को होते हैं,  महिलाओं को या तो होते ही नहीं या बहुत कम होते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि इस धारणा की वजह से कई महिलाएं अनजाने ही दिल की बीमारियों का शिकार हो रही हैं, और सही वक्त पर इलाज नहीं मिलने के कारण ये उनमे मृत्यु का कारण भी बन रहा है। महिलाएँ दिल की बीमारी के लक्षण समझ नहीं पातीं और अपने दिल का ख्याल भी कम रखती हैं. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अध्ययन के मुताबिक 5.8 फीसदी भारतीय महिलाओं में धमनियों से संबंधित दिल की बीमारी होती है। इनमे से करीब दो तिहाई महिलाओं की अचानक मृत्यु दिल की बीमारी से होती है।


महिलाओं को देर से मिलता है इलाज 

चाहे शहरी महिलाएँ हों या ग्रामीण दुनिया के हर कोने में महिलाओं की दिल की बीमारी आमतौर पर समय पर पता नहीं चल पाती इसकी सबसे बड़ी वजह है सेहत के प्रति उपेक्षा। न केवल उनका परिवार ब्लकि बल्कि स्वयं महिलाएँ भी अपनी सेहत को लेकर लापरवाही पूर्ण रवैया अपनाती हैं ऐसे में अक्सर इलाज मिलने में देर हो जाती है। जाने माने हृदय रोग विशेषज्ञ और राष्ट्रपति के पूर्व निजी चिकित्सक डॉ मोहसिन वली के मुताबिक अपने परिवार का खयाल रखने के लिए महिलाओं को सबसे पहले अपना खयाल रखना चाहिए। इसके लिए उन्हें बहुत ख़ास कुछ नहीं करना बल्कि ज़्यादा चलना फिरना है और दिल से भरपूर काम लेना है। जितना ज्यादा दिल मेहनत करेगा उतना लंबा आप जिएंगे। घर पर टेलीविजन भी देखना हो तो उसे घूम घूमकर देखें


आखिर क्यों बढ़ रही हैं महिलाओं में दिल की बीमारियां 

महिलाएँ अब घर और अपने कार्यक्षेत्र दोनों की जिम्मेदारियाँ निभा रही हैं, ऐसे में शहरी महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले दोगुना तनाव है। यह हृदय रोगों के खतरे को दोगुना करता है। वहीँ मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर,  डायबिटीज जैसी बीमारियां भी खासतौर पर कामकाजी महिलाओं में बढ़ रही हैं जो दिल की बीमारियों को बढाने के लिए जिम्मेदार हैं। व्यायाम से दूरी, फैमिली हिस्ट्री, धूम्रपान और या फिर अल्कोहल का सेवन भी अन्य कारण हैं। ऐसी महिलाएं जिनमें मेनोपॉज 50 वर्ष की उम्र से पहले आता है पहले  आता है, उनमें हृदय संबंधी रोगों का खतरा ज्यादा रहता है। महिलाओं में मेनोपॉज के बाद होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण हृदय रोगों की आशंका बढ़ जाती है ऐसे में पहले से ही सचेत रहने की ज़रूरत है।


महिलाओं में लक्षण होते हैं पुरुषों से भिन्न 

महिलाओं में हृदय रोग के लक्षण पुरुषों से भिन्न दिखाई पड़ते हैं। कुछ लक्षणों की बात करें तो गर्दन, जबड़े, कंधे, कमर का ऊपरी हिस्सा या उदर के आसपास बेचैनी, सांस फूलने के अलावा थकावट, हाथ में दर्द, उल्टी महसूस होना, सिर मेंभारीपन, बेहोशी छाना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। 


अगर परिवार में हृदय रोग के मरीज रहे हैं तो रहें सावधान

कोरोनरी आर्टरी डिजीज या कोलेस्ट्रॉल बढऩे से होने वाली यह बीमारी अनुवांशिक भी हो सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक के अगर पिता या भाई में से किसी को 50 से 55 साल की उम्र से पहले अथवा मां या बहन में से किसी को 60 से 65 साल की उम्र से पहले हार्ट अटैक हुआ हो, तो परिवार के लोगों को दिल की बीमारी की आशंका अधिक होगी। वहीँ अधिक उम्र की वे महिलाएँ जिन्होंने चूल्हे पर खाना बनाया हो, यानि जिनको धुएं में रहना पड़ा


बचाव के उपाय 

कोरोनरी आर्टरी डिजीज का शुरुआती चरण में पता नहीं चलता। इसलिए लिपिड प्रोफाइल कराते रहें, हाई कोलेस्ट्रोल होने पर तुरंत सावधान हो जाएं। व्यायाम करें,  योग और प्राणयाम करें। एक ही परिवार के लोगों में समान आदतें और जींस के कारण हृदय ऐसे की बीमारी का खतरा सभी को होता है इसीलिए ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर की नियमित जांच कराएं। साथ ही बच्चों के खानपान का भी शुरू से खयाल रखें। फास्ट फूड, चीज,  मक्खन और चिकनाई वाले खाद्य पदार्थों की आदत न डालें विशेषज्ञों के मुताबिक धमनियों में कोलेस्ट्रोल छोटी उम्र से ही जमना शुरू हो जाता है। ऐसे में बच्चों को संतुलित आहार और व्यायाम की आदत डालें।

इसके अलावा हृदय की संरचना में बदलाव औऱ ब्लड पंप करने की क्षमता घटना,  अनियमित हार्ट रिद्म जैसी समस्याओं पर भी समय रहते ध्यान दें। विशेषज्ञों के मुताबिक समय पर इलाज लेने से 80 फीसदी मामलों में बीमारी पर काबू पाया जा सकता है।

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